चालाक चूहाBy Alok Maurya

चालाक चूहा
By Alok Maurya
Created on 18 May, 2024

एक छोटे से गाँव में एक घर था जहां एक चूहा और एक बिल्ली रहते थे। बिल्ली का मुख्य काम चूहे को पकड़ना था, लेकिन चूहा बहुत चालाक और चतुर था।

हर बार बिल्ली चूहे को पकड़ने की कोशिश करती, लेकिन वह किसी न किसी तरीके से बच निकलता। बिल्ली को यह बात बहुत चुभती थी।

एक दिन, बिल्ली ने ठान लिया कि किसी भी कीमत पर वह चूहे को पकड़कर ही रहेगी। उसने एक योजना बनाई।

रसोई में जाकर उसने बहुत सारे चावल के दाने फैला दिए और खुद एक कोने में छिप गई। बिल्ली ने सोचा, "जब चूहा इन दानों को खाने आएगा, तब मैं उसे पकड़ लूंगी।"

चूहा, जो हमेशा अपने भोजन की तलाश में रहता था, उसने चावल के दानों को देखा और उसकी आँखें चमक उठीं।

उसने सोचा, "वाह! आज तो मेरी मौज हो गई। इतने सारे चावल के दाने!" लेकिन चूहा बहुत सतर्क था। उसने धीरे-धीरे चारों ओर देखा।

उसे बिल्ली कहीं नजर नहीं आई, लेकिन उसे कुछ अजीब सा महसूस हुआ। चूहे ने सावधानी बरतते हुए दानों के पास जाकर उन्हें सूंघा।

और ध्यान से देखा। तभी उसे समझ में आया कि यह बिल्ली का जाल हो सकता है।

चूहा बहुत सतर्क और चतुर था, वह बिल्ली की योजना को समझ गया था। उसने ठान लिया कि वह इस जाल में नहीं फंसेगा।

चूहे ने बिल्ली की योजना को तोड़ने का एक तरीका सोचा। वह एक दूसरे रास्ते से जाकर चावल के दानों को खाने लगा।

बिल्ली की योजना नाकाम हो गई। वह चूहे को पकड़ने में असफल रही।

इस तरह से, चूहा बिल्ली की चालाकी से बच गया और उसने अपनी चतुराई दिखा दी।

चालाक चूहा
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