
बंदर और मगरमच्छ की कहानी
By Sanjana Katke

01 Sep, 2024

एक बंदर उस पेड़ पर रहता था। एक दिन, उसने देखा कि नदी में एक मगरमच्छ है।

मगरमच्छ ने पेड़ के पास आकर थकान महसूस की। बंदर ने उसे देखा और सोचा कि वह उसे कुछ फल देने चाहिए।

मगरमच्छ हर दिन बंदर से मिलने और फल खाने आने लगा। यह दोस्ती धीरे-धीरे बढ़ती गई।

मगरमच्छ अपनी पत्नी को फलों के बारे में बताता था। उसकी पत्नी ने सोचा कि बंदर का दिल कितना स्वादिष्ट होगा!

मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि वह उसे नदी के दूसरी तरफ ले जाएगा, जहाँ और भी स्वादिष्ट फल मिलते हैं।

बंदर ने सोचा कि यह एक अच्छा विचार है और मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया।

मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि वह उसे मारने के लिए ले जा रहा है। बंदर ने तुरंत समझ लिया कि मगरमच्छ उसे धोखा देने की कोशिश कर रहा है।

बंदर ने कहा, 'मेरा दिल तो पेड़ पर है। हमें वापस जाकर उसे लेना होगा।'

जैसे ही वे किनारे पर पहुंचे, बंदर तेजी से पेड़ पर चढ़ गया।

बंदर ने मगरमच्छ से कहा, 'तुमने मेरी जान लेने की कोशिश की, लेकिन मैं तुम्हारी चालाकी से बच गया।'

बंदर ने कहा, 'अब मैं तुमसे कभी दोस्ती नहीं करूंगा।'

इस तरह, बंदर की चतुराई और बुद्धिमानी ने उसे मौत के मुंह से बचा लिया।

वह सोच रहा था कि वह कितना भाग्यशाली था कि उसने समय पर समझ लिया और अपनी जान बचा ली।

बंदर सोच रहा था कि अगली बार वह किसी को भी अपना दोस्त बनाने से पहले सोचेगा।

वह समझ गया कि चतुराई से काम लेना हर मुश्किल समय में मदद करता है।

बंदर अब खुश और सुरक्षित महसूस कर रहा था।

मगरमच्छ ने समझा कि उसकी चाल असफल रही थी।

वह बहुत चिंतित था क्योंकि उसने अपना एकमात्र दोस्त खो दिया था।

मगरमच्छ ने समझा कि उसने बंदर के साथ धोखा किया और उसकी गलती मानते हुए वह बहुत पछताया।

मगरमच्छ ने ठान लिया कि वह अब से किसी के साथ धोखा नहीं करेगा।

मगरमच्छ ने समझा कि उसने गलती की थी और वह उसे सुधारने का प्रण लिया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा मुश्किल परिस्थितियों में धैर्य और चतुराई से काम लेना चाहिए।