
भैया भाभी और देवर की कहानी
By Anshuman

14 Mar, 2024

एक छोटे शहर की बहुत ही प्यारी और खुशहाल परिवार की कहानी है। यह परिवार एक बड़े भैया, उनकी भाभी, और उनके छोटे भाई देवर से मिलकर बनता था।

भैया और देवर की जोड़ी काफी अजीब थी, वे दोनों बहुत ही अलग तरीके के लोग थे। भैया संयमी और गंभीर स्वभाव के थे, जबकि देवर बहुत ही खुशनुमा और बेफिक्र थे।

भाभी का स्वभाव भैया और देवर दोनों के बीच एक संतुलन बनाता था। वे दोनों की अच्छी समझदार थीं और परिवार को एकजुट रखने में काफी योगदान देती थीं।

उनके घर में हर शाम को चाय का समय सबसे खास होता था। वे तीनों तब साथ बैठते और अपने दिन की बातें करते।

देवर अपने दोस्तों के साथ गुजरे समय की कहानियाँ सुनाते, जबकि भैया अपने कार्यालय की चुनौतियों को बयां करते। भाभी उन्हें धैर्य और समझदारी से सुनती, और कभी-कभी उनके समस्याओं का हल भी निकालती।

वे तीनों बहुत ही खुश और संतुष्ट थे। उनका परिवार उनके लिए सबकुछ था। वे एक दूसरे के साथ बिताए हर पल को महसूस करते थे।

एक दिन देवर को शहर से बाहर जाने का मौका मिला। उन्हें यह समाचार सुनकर खुशी तो हुई, लेकिन वे घर छोड़कर जाने के बारे में सोचकर दुखी भी थे।

वे तीनों ने इस पर बहुत चर्चा की और अंत में निर्णय लिया कि देवर को शहर से बाहर जाने के लिए मान्यता दी जाए।

भैया और भाभी को देवर के बिना घर सुना-सुना लगने लगा। चाय का समय अब उत्तेजना भरा नहीं था। दोनों देवर की याद में खोए हुए थे।

लेकिन, बीते समय के साथ, उन्हें समझ आया कि बदलाव जीवन का हिस्सा होता है। वे अब देवर को उनके नए अनुभवों का आनंद लेने के लिए खुशी चाहते थे।

देवर ने भी अपने नए जीवन को अच्छी तरह से अपना लिया। लेकिन, उन्हें भी घर की याद अक्सर आती थी। वे हर रोज भैया और भाभी से बात करते और अपने अनुभव साझा करते।

इस तरह, वे तीनों ने अपने नए जीवन को स्वीकार किया और खुशी-खुशी अपना जीवन जीना शुरू किया। उन्होंने सिखाया कि परिवार वास्तव में सिर्फ एक घर या स्थान नहीं होता, बल्कि वह एक भावना होती है जो हमेशा हमारे साथ रहती है।