
अर्धांगिनी
By Shilpa Saha

23 Feb, 2024

गाँव की छोटी सी गली में, अर्धांगिनी नाम की एक विचित्र लड़की रहती थी। वह बाकी बच्चों से थोड़ी अलग थी, उसकी आंखों में एक अजनबी चमक और उसके व्यवहार में एक विचित्रता थी।

अर्धांगिनी को अक्सर अकेले पाने का शौक था। वह गाँव के किनारे स्थित एक पुराने पेड़ के नीचे बैठकर किताबें पढ़ती थी। उसकी ये अदाएं गांववालों को अजीब लगती थीं।

एक दिन, अर्धांगिनी ने उस पेड़ के नीचे एक पुरानी किताब पाई। वह किताब अजीब थी, उसमें अनोखे चित्र और अजनबी अक्षर थे। उसने उसे अपने साथ घर ले गई।

अर्धांगिनी ने उस किताब को अपने कमरे में सुरक्षित रखा। वह हर रोज़ उसे पढ़ने की कोशिश करती, परन्तु उसके अक्षर वह समझ नहीं पाती थी।

एक दिन, जब वह किताब को पढ़ रही थी, तभी उसे एक अनोखा अक्षर दिखाई दिया। वह अक्षर उसके दिल को छूने लगा और वह एक अजनबी भाषा को समझने लगी।

अर्धांगिनी ने धीरे-धीरे वह अजनबी भाषा सीखी और उसने किताब की कहानियों को समझना शुरू कर दिया। वह किताब उसे दूसरी दुनियाओं के बारे में बताती, जिनके बारे में वह कभी सोच भी नहीं सकती थी।

वह अब हर दिन नई कहानियाँ पढ़ती, और हर कहानी उसे एक नयी दुनिया में ले जाती। वह उन दुनियाओं की यात्रा करती, उनके रहस्यों को समझने की कोशिश करती।

गाँववाले अर्धांगिनी के बारे में अजीब सी बातें करते थे, पर वह अब उनकी बातों को नजरअंदाज करने लगी थी। वह अपनी नई दुनियाओं में खोई रहती।

अर्धांगिनी ने अपनी नई खोजों को लोगों के साथ साझा करने का फैसला किया। वह अपनी कहानियाँ लिखने लगी और उन्हें गाँव के लोगों के साथ साझा करने लगी।

धीरे-धीरे, गाँववालों ने भी अर्धांगिनी की कहानियों को मान्यता दी। उन्होंने समझा कि वह विचित्र नहीं, विशेष है। उन्होंने उसे अपने दिलों में जगह दी।

अर्धांगिनी, एक सामान्य गाँव की लड़की, अब एक कहानीकार बन गई थी। उसकी कहानियाँ न सिर्फ गाँव तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि दूर-दूर तक फैल गई।

अर्धांगिनी की कहानियाँ, उसकी अजनबी किताब की भाषा में, अब सबकी भाषा बन गई थी। वह अब अपनी दुनिया में नहीं, सबकी दुनिया में रहती थी।

आज भी, जब भी कोई उस गाँव से गुजरता है, वह अर्धांगिनी की कहानियों के बारे में सुनता है। वह कहानियाँ, जो एक अनोखी दुनिया से आई थीं, अब हर किसी की दुनिया बन गई हैं।

और यही हैं, अर्धांगिनी की कहानी। जो एक सामान्य लड़की थी, पर उसकी विचित्रता ने उसे अद्वितीय बना दिया। उसकी कहानियाँ, उसकी अद्वितीयता का प्रतीक बन गई हैं।