
भूतिया हवेली की रहस्यमयी रात
By Md Rahmat Ali

15 Jul, 2024

एक रात, राजू और उसके दोस्त, गाँव के साहसी लड़के, उस भूतिया हवेली में जाने का साहस जुटा लेते हैं।

हवेली के पास पहुँचते ही उन्हें अजीब-सी आवाजें सुनाई देने लगीं। दरवाजा चरमराते हुए खुला।

अंदर घुप अंधेरा था, लेकिन उनकी टॉर्च की रोशनी में धूल और जाले दिख रहे थे।

अचानक, सीढ़ियों से किसी के चलने की आवाज आई। वे डरते-डरते सीढ़ियों की ओर बढ़े।

ऊपर पहुँचते ही उन्होंने देखा, एक पुराना झूमर अपने-आप हिल रहा था। उनके दिल की धड़कनें तेज हो गईं।

तभी, एक ठंडी हवा का झोंका आया और दरवाजे खुद-ब-खुद बंद हो गए।

उनकी टॉर्च की बैटरी भी अचानक खत्म हो गई। चारों ओर अंधेरा छा गया।

अब उन्हें हवा में एक साया दिखाई दिया। वह साया धीरे-धीरे उनके पास आने लगा।

हवेली से बाहर निकलते ही उन्होंने देखा कि उनका दोस्त सुरेश बाहर खड़ा हँस रहा था।

सुरेश ने कहा, "अरे, डर गए? मैं ही था वो साया!" सभी ने राहत की सांस ली।

लेकिन तभी हवेली के अंदर से एक और आवाज आई, "लेकिन, मैं कौन हूँ?"

सुरेश और बाकी सभी लड़के समझ नहीं पाए और डर के मारे पागलों की तरह भागने लगे। आज भी उस रात की भयानक घटना गाँव में चर्चा का विषय बनी रहती है।