
बगीचे की कहानी
By Sudhakrishna Pahari

08 Aug, 2024

नाना बगीचे में अपनी हर सुबह शुरू करते थे। वे अपने पेड़-पौधों के साथ बहुत समय बिताते और उन्हें प्यार से सिंचते थे।

नानी भी बगीचे में अपनी अदायें बिखेरती थी। वे फूलों को चुनती और घर में उन्हें सजाती थी।

नाना-नानी बगीचे में अपना अधिकांश समय बिताते थे। वे वहां बैठकर बातें करते, चाय पीते और अपने पोते-पोतियों के बारे में यादें ताजा करते थे।

नाना नानी से कहते, 'तुम्हारी वजह से ही यह बगीचा इतना खूबसूरत है।' नानी हंसती और कहती, 'नहीं जी, यह तो आपकी मेहनत का नतीजा है।'

वे झील के पास बैठकर अपनी पुरानी यादों को ताजा करते और बगीचे में खेलते हुए बच्चों को देखते। वे अपने जीवन के सुनहरे पलों को याद करते थे।

नाना नानी से कहते, 'याद है, हमने इस बगीचे को साथ में ही बनाया था।' नानी हंसती हुई कहती, 'हां जी, और यह हमारे प्यार की तरह ही हरा-भरा और खूबसूरत है।'

नाना-नानी शाम के समय बगीचे में चुपचाप बैठे होते और सूरज के डूबते हुए मनजर का आनंद लेते। उन्हें इस समय की शान्ति और सुकून बहुत पसंद था।

नानी नाना से कहती, 'देखो, कितना सुंदर है। हमेशा ऐसे ही रहना चाहिए।' नाना उनसे सहमत होते और मुस्कान भरी निगाहों से उन्हें देखते।

रात के समय भी, नाना-नानी बगीचे में बैठते और चांद की चांदनी में डूब जाते। उन्हें ऐसे समय में बगीचे की सुंदरता और बढ़ जाती थी।

नानी नाना से कहती, 'यह बगीचा हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है।' नाना उनसे सहमत होते और कहते, 'हां, यह हमारे जीवन का एक सुंदर खंड है।'

एक दिन, नानी नाना से पूछती, 'क्या यदि हमारे पास यह बगीचा नहीं होता?' नाना मुस्काते हुए कहते, 'तो हम एक नया बगीचा बनाते।'

नानी हंसती हुई कहती, 'हां, हमारा अपना नया बगीचा।' और वे दोनों हंसते हुए अपनी यादों में खो जाते।

एक नये दिन की शुरुआत में, नाना-नानी अपने बगीचे की सुंदरता को देखते और मुस्कान भरी आंखों से एक दूसरे को देखते। उन्हें अपने बगीचे पर गर्व था।

नानी नाना से कहती, 'हमने साथ में इतना कुछ बनाया है।' नाना हां करते और कहते, 'हां, और इसे हमने साथ में बनाया है।'

नानी नाना से पूछती, 'क्या यह बगीचा हमेशा इसी तरह खूबसूरत रहेगा?' नाना मुस्कान भरी आँखों से उसे देखते और कहते, 'जब तक हम साथ हैं, यह हमेशा सुंदर रहेगा।'

नानी हंसती हुई कहती, 'हां, हमेशा।' और वे दोनों अपनी यादों में खो जाते, बगीचे की सुंदरता को आनंदित करते।

नानी नाना से कहती, 'मुझे हमारे बगीचे की हर एक चीज पसंद है।' नाना हां करते और कहते, 'मुझे भी, और सबसे ज्यादा तुम्हारे साथ यहाँ होना।'

नानी हंसती हुई कहती, 'मुझे भी।' और वे दोनों अपनी यादों में खो जाते, बगीचे की सुंदरता को आनंदित करते।