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    महान कलाकार की यात्रा

    रवि एक छोटे से घर के बाहर बैठा अपने कागज और रंगों के साथ खेल रहा है। उसकी आँखों में सपने हैं और हाथों में कला की अद्भुत क्षमता। वह अपने कैनवास पर गाँव की सुंदरता को उकेरता है। "कभी न कभी, मेरा नाम भी लोग जानेंगे," वह खुद से बुदबुदाता है।
    दिव्या गाँव की एक सम्मानित चित्रकार है, जिसने रवि की कला को पहली बार देखा था। "तुम्हारी कला में गहराई है, रवि। इसे दुनिया देखेगी, बस मेहनत करना मत छोड़ो," वह मुस्कुराते हुए कहती है। रवि प्रेरित महसूस करता है और उसकी आँखें नई उम्मीदों से चमक उठती हैं।
    रवि ने हाल ही में एक कला प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। परिणाम आने के बाद, वह निराश महसूस कर रहा था क्योंकि उसकी कोई भी पेंटिंग चुनी नहीं गई थी। "शायद मैं कभी सफल नहीं हो पाऊँगा," वह उदासी में कहता है। लेकिन उसके अंदर की आग बुझी नहीं थी।
    रवि ने फिर से मेहनत करने की ठानी। वह दिन-रात अपनी कला को बेहतर बनाने में जुट गया। "मैं हार नहीं मानूंगा," उसने दृढ़ता से कहा। वह हर दिन नई तकनीकें सीखता और अपनी कला को और सुधारता।
    प्रतियोगिता का दिन फिर से आया और इस बार रवि ने अपनी सर्वश्रेष्ठ पेंटिंग प्रस्तुत की। जब परिणाम घोषित हुए, तो उसकी पेंटिंग को पहला पुरस्कार मिला। "यह सिर्फ शुरुआत है," उसने गर्व से कहा।
    दिव्या[/@ch_2_d]"मैंने कहा था ना, तुम्हारी कला तुम्हें पहचान दिलाएगी,"[/@ch_2_d] वह गर्व से कहती है। [@ch_1]रवि अब समझ चुका था कि धैर्य और मेहनत से ही सफलता मिलती है। वह अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए तैयार था।