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    काली किताब

    रिया, एक उत्सुक किशोरी, अपनी दादी की अटारी में खोजबीन कर रही थी। धूल से भरी हुई किताबों के ढेर में, उसकी नज़र एक काली किताब पर पड़ी। वह किताब बाकी सबसे अलग थी—उसका आवरण चमकदार काले रंग का था और उस पर अजीबोगरीब प्रतीक अंकित थे।"यह क्या हो सकता है?" उसने अपने आप से कहा, किताब को खोलते हुए।
    रिया ने किताब के पन्ने पलटने शुरू किए और उसमें लिखी कहानियों को पढ़ने लगी। हर पन्ना एक नई और भयावह कहानी को उजागर कर रहा था।"ये कहानियाँ इतनी डरावनी क्यों हैं?" उसने हल्की आवाज़ में बुदबुदाया। जैसे ही उसने एक विशेष पन्ना खोला, कमरे में एक अजीब सन्नाटा छा गया।
    रिया को अचानक किसी ने उसके कान में फुसफुसाते हुए सुना,"तुमने इसे नहीं खोलना चाहिए था।" वह डर के मारे कांप उठी और किताब को बंद कर दिया। उसने महसूस किया कि उसके आसपास कुछ था, कुछ जो अदृश्य था लेकिन उसकी उपस्थिति को महसूस किया जा सकता था।
    रिया ने अपनी दादी से इस किताब के बारे में पूछने का निश्चय किया।उसकी दादी, जिनकी आँखों में उम्र की गहराई थी, धीरे-धीरे बोलीं,"यह किताब हमारे गाँव के भूतकाल की कहानियों को समेटे हुए है। इसे कभी नहीं छेड़ा जाना चाहिए था।"
    दादी ने उसे बताया कि कैसे काली किताब में गाँव के अतीत की भयानक घटनाएँ दर्ज हैं।"लेकिन अब जब तुमने इसे खोल दिया है, तो तुम्हें इसके रहस्यों को समझना होगा।" रिया ने हिम्मत जुटाई और किताब को फिर से खोला, इस बार दृढ़ संकल्प के साथ कि वह इसके रहस्यों को समझेगी।
    रिया ने किताब के आखिरी पन्ने को पढ़ा। उसने महसूस किया कि यह किताब उसके गाँव के अतीत की केवल कहानियाँ नहीं थीं, बल्कि उन्हें उस अंधेरे से बचाने की कुंजी भी थीं।"अब मैं समझ गई हूँ कि मुझे क्या करना है," उसने आत्मविश्वास से कहा, अपनी दादी की ओर देखते हुए।