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    मृत आत्माओं का श्राप

    राजस्थान के एक पुराने गाँव "कर्णगढ़" में एक भुतहा हवेली थी, जिसे लोग "शापित भवन" कहते थे। वहाँ जाने की हिम्मत कोई नहीं करता था, क्योंकि कहा जाता था कि वहाँ आत्माओं का बसेरा है।दिल्ली से चार दोस्त – राहुल, आदित्य, पायल, और नेहा – एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए कर्णगढ़ पहुँचते हैं। वे अंधविश्वासों को झूठ साबित करने के लिए शापित हवेली में जाने का फैसला करते हैं।गाँववालों ने उन्हें चेतावनी दी –"अगर तुमने हवेली की चौखट पार की, तो वापस लौट नहीं पाओगे!"लेकिन वे चेतावनी को मज़ाक समझते हैं और रात के 12 बजे हवेली में दाखिल हो जाते हैं। हवेली की दीवारों पर खून के धब्बे थे, फर्श पर टूटे हुए खिलौने बिखरे थे, और हवा में सड़ांध भरी दुर्गंध थी।जैसे ही उन्होंने फिल्मांकन शुरू किया, अजीब घटनाएँ होने लगीं –कैमरा अचानक अपने आप ऑन-ऑफ होने लगा।नेहा को महसूस हुआ कि कोई उसके बालों को खींच रहा है।राहुल को किसी ने ज़ोर से धक्का दिया, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।आदित्य ने दीवार पर अजीब निशान देखे। जब उसने मोबाइल टॉर्च मारी, तो वहाँ खून से लिखा था – "तुम्हारी मौत यहीं तय है!"तभी हवेली के अंदर से एक भयानक चीख सुनाई दी, और दरवाज़ा खुद-ब-खुद बंद हो गया। अब वे चारों अंदर फँस चुके थे…अचानक, एक छायामयी आकृति हवा में तैरती हुई आई। उसके लहराते बाल, सूखी चमड़ी और गहरी लाल आँखें थीं। उसने फुसफुसाते हुए कहा –"तुम लोगों ने मेरी नींद खराब कर दी… अब तुम नहीं बचोगे!"एक-एक करके चारों दोस्तों पर हमला हुआ –नेहा दीवार में समा गई और फिर कभी नहीं दिखी।पायल का शरीर हवा में ऊपर उठ गया और उसकी गर्दन मुड़ गई।आदित्य अंधेरे में घसीटा गया और उसकी दर्दनाक चीख गूँजती रही।राहुल अकेला बचा, लेकिन हवेली से भागने के चक्कर में उसकी आँखें खून से भर गईं, और उसकी आत्मा उसी हवेली में कैद हो गई।अगले दिन गाँव वालों ने हवेली के पास एक नया खून का निशान देखा। वे जानते थे कि एक और आत्मा हवेली में शामिल हो गई थी…और अब, जो भी उस हवेली में जाता, फिर कभी लौटकर नहीं आता!
    आर्यन ने दरवाजे को हल्के से धक्का दिया, और वह चरमराता हुआ खुल गया। दोनों के दिल की हो । "यह जगह बहुत भयानक है, आर्यन। हमें सच में करना चाहिए?" <span data-type="mention" class="mention" data-id="1" data-label="" style="background-color: hsla(137, 100%, 90%, 0.3); color: hsl(137, 100%, 40%)"></span>
    जैसे ही आर्यन और सिया आगे बढ़े के कदमों की आवाज सुनाई दी। वे रुक गए और चारों देखने लगे, लेकिन वहां कोई नहीं था। "तुमने भी सुना ना?" <span data-type="mention" class="mention" data-id="1" data-label="" style="background-color: hsla(137, 100%, 90%, 0.3); color: hsl(137, 100%, 40%)"></span>
    सिया ने अचानक ठिठक कर एक कोने की ओर इशारा किया, जहां से वह आवाज आ रही थी। "वह आवाज... सुनो, आर्यन।" "यह तो जैसे कोई हमें बुला रहा है।"
    जैसे ही वे आगे बढ़े, उन्होंने देखा कि एक पुराना दरवाजा धीरे-धीरे खुल रहा है। अंदर से एक ठंडी हवा का झोंका आया और उनकी रूह कांप गई। "इससे पहले कि कुछ और हो, हमें यहां से निकलना चाहिए।" "पर हम जान नहीं सकते कि यहां क्या है, बिना इसे देखे।"
    आर्यन और सिया ने एक-दूसरे की ओर देखा, उनकी आँखों में डर और निर्णय की झलक थी। "हमें अपना रास्ता खुद बनाना होगा।" "चलो, जितना जल्दी हो सके बाहर निकलते हैं।"