
राम सेतु: धर्म की विजय
By Kumar Hari

30 Aug, 2024

भगवान राम, लक्ष्मण और वानर सेना एक साझा मंच पर इकट्ठा हुई थीं, जहां वे लंका पहुंचने की योजना बना रहे थे।

भगवान राम ने फैसला किया कि वे समुद्र पर एक पुल बनाएंगे। इस के लिए, उन्होंने वानर सेना से सहायता मांगी।

भगवान राम ने समुद्र देवता से सहायता की मांगी, लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया।

यह देखकर भगवान राम ने समुद्र देवता को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि वे हमेशा शांत रहेंगे और कभी भी अपनी तरंगों को उठाने की क्षमता नहीं होगी।

श्राप के डर से, समुद्र देवता ने अंततः भगवान राम की सहायता करने का विचार किया।

वानर सेना ने समुद्र देवता की मदद से समुद्र पर एक पुल बनाना शुरू कर दिया।

दिन रात भाग दौड़ के बाद, वानर सेना ने अंततः पुल का निर्माण पूरा कर दिया।

इस पुल के माध्यम से, भगवान राम और उनकी सेना ने लंका को पहुंचने का निर्णय लिया।

भगवान राम और उनकी सेना ने लंका में प्रवेश किया, जहां रावण ने सीता माता को कैद कर रखा था।

भगवान राम ने रावण से सामना किया और उसे सीता माता को छोड़ने के लिए कहा।

रावण ने इनकार कर दिया, और इसके परिणामस्वरूप भगवान राम और रावण के बीच एक भयानक युद्ध शुरू हुआ।

युद्ध के दौरान, भगवान राम ने अपने बाण द्वारा रावण को मार दिया।

रावण के मरने के बाद, भगवान राम ने सीता माता को अंततः मुक्त कर दिया।

सीता माता को मुक्त करने के साथ, भगवान राम ने धर्म की विजय सुनिश्चित की।

सब कुछ ठिक होने के बाद, भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता वापस अपने वन में लौट आए।

वे अपनी विजय का जश्न मना रहे थे, जहां धर्म ने अधर्म पर विजय प्राप्त की थी।

स्वर्ग में, देवताओं ने भगवान राम की विजय की प्रशंसा की।

उन्होंने भगवान राम के धैर्य, साहस और धर्म निष्ठा की सराहना की।

वन में, भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता अब एक साथ जीवन जी रहे थे।

उन्होंने एक दूसरे के साथ खुशियाँ बांटी और वन में शांति और आनंद का माहौल बनाया।